भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ विस्तार से पढ़ें । Schedules of the Indian Constitution

भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ विस्तार से पढ़ें । | Schedules of the Indian Constitution | 

Bhartiye Samvidhan ki Sabhi Anusuchiya | RJ Study Point 




वर्तमान में भारत के संविधान में 12 अनुसूचियाँ हैं तथा मूल संविधान में आठ अनुसूचियां थी । नौवीं अनुसूची , 10वीं अनुसूची , 11वीं अनुसूची, तथा 12वीं अनुसूची को बाद में संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया ।
आज हम इस आर्टिकल में भारतीय संविधान की अनुसूचियों के बारे में विस्तार से जानेंगे । मैं आशा करता हूं आपको यह जानकारी बहुत अच्छी लगेगी चलिए जानते हैं भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियों को ।

[  ] भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियों की एक झलक :

1. प्रथम अनुसूची : राज्यों का संघ
2. दूसरी अनुसूची : पदाधिकारी एवं उनके वेतन भत्ते
3. तीसरी अनुसूची : शपथ
4. चौथी अनुसूची : राज्यसभा में सीटों का आवंटन
5. पांचवी अनुसूची : अनुसूचित क्षेत्रों एवं जनजातियों का प्रशासन एवं नियंत्रण
6. छठवीं अनुसूची : असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और लद्दाख में जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन के लिए प्रावधान
7. सातवीं अनुसूची : संघ और राज्यों के बीच शक्तियों और कार्यों का आवंटन। इसमें 3 सूचियाँ हैं (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची ।)
8. आठवीं अनुसूची : भाषा (22 भाषाएँ हैं)
9. नौवीं अनुसूची : भूमि सुधार अधिनियम
10. दसवीं अनुसूची : दल बदल विरोधी कानून
11. 11वीं अनुसूची : पंचायती राज
12. 12वीं अनुसूची : नगर निगम

चलिए अब हम  जानते हैं विस्तार से भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियों को हम अब विस्तार से पड़ेंगे एक-एक अनुसूचि को ।

[  ]  प्रथम अनुसूची : राज्यों का संघ
राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्र के नाम तथा उनके राज्य क्षेत्र में परिवर्तन करना प्रथम अनुसूची में किया जाता है हमारे भारत में 28 राज्य तथा 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं किसी भी राज्य में परिवर्तन या नया राज्य बनाया जाता है तो प्रथम अनुसूची में परिवर्तन किया जाता है।

[  ] दूसरी अनुसूची : पदाधिकारी के वेतन भत्ते
निम्नलिखित पदाधिकारी के वेतन भत्ते तथा पेंशन आदि से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं।
• भारत का राष्ट्रपति
• राज्यों के राज्यपाल
• लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
• राज्यसभा के सभापति और उपसभापति
• राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष
• राज्य विधान परिषद के सभापति और उपसभापति
• सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
• उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
• भारत का नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक

निम्न पदाधिकारी के वेतन भत्ते पेंशन आदि के प्रावधान अनुसूची नंबर दो में दी गई है।

[  ] तीसरी अनुसूची : शपथ
इस अनुसूची में निम्नलिखित पदाधिकारी तथा प्रत्याशियों द्वारा ली जाने वाली शपथों तथा प्रतिज्ञानो के प्रारूप दिए गए हैं।
• संघ के मंत्री
• संसद के चुनाव के प्रत्याशी
• संसद के सदस्य
• राज्यों के मंत्री
• राज्य विधान मंडल के चुनाव के प्रत्याशी
• राज्य विधान मंडल के सदस्य
• सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
• उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
• भारत का नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक


[  ] चौथी अनुसूची : राज्यसभा में सीटों का आवंटन
इस अनुसूची में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र के लिए राज्यसभा में सीटों का आवंटन का विवरण दिया गया है।
राज्यसभा में सीटों के आमंत्रण का आधार जो होता है वह जनसंख्या के आधार पर होता है जैसे यूपी में राज्यसभा की सिम 31 हैं तथा राजस्थान में 10 तथा हरियाणा में पांच इन्हीं के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है

Note : हमारे संविधान की चौथी अनुसूची में यह लिखा हुआ था पहले की प्रत्येक जनगणना के बाद सीटों का पुनः आवंटन किया जाएगा (अनुच्छेद -82)

  • सबसे पहले जनगणना स्वतंत्र भारत की 1951 में हुई थी तथा 1952 में सीटों का आवंटन हुआ ठीक उसी प्रकार 1961 में जनगणना हुई तथा 1962 में सीटों का आवंटन हुआ तथा 1971 में जनगणना तो हुई परंतु 1972 में सीटों का आवंटन होना था उससे पहले यह देखा गया कि उत्तर भारत की जनसंख्या काफी अधिक हो गई है दक्षिण भारत के मुकाबले तभी दक्षिण भारत ने  आंदोलन शुरू कर दिया उत्तर भारत के खिला । उस समय मुख्यमंत्री  थी श्रीमती इंदिरा गांधी । उन पर पड़ा दबाव तभी इंदिरा गांधी जी ने 42 व संविधान संशोधन 1976 कार और कहा कि जनगणना तो प्रत्येक 10 वर्ष बाद होगी परंतु सीटों का आवंटन सन 2000 तक नहीं होगा यह आवंटन 1971  की जनगणना के तहत ही रहेगा।

  • अब सन 2000 आ गया था फिर से सीटों का आवंटन होना था परंतु यह देखा गया कि उत्तर भारत की जनसंख्या तो और अधिक हो चुकी थी दक्षिण भारत के मुकाबले तब उसे समय सरकार अटल बिहारी वाजपेई जी की थी उन्होंने 84 व संविधान संशोधन किया तथा उन्होंने कहा की जनगणना तो प्रत्येक 10 वर्ष मैं होगी परंतु सीटों का आवंटन 2026 तक वही रहेगा 1971 की जनगणना तहत।

[  ] पांचवी अनुसूची : अनुसूचित क्षेत्र एवं जनजातियों का प्रशासन एवं नियंत्रण
इस अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्र के प्रबंधन एवं नियंत्रण से संबंधित प्रावधानों का वर्णन किया गया है अनुसूचित क्षेत्र पर क्षेत्र वह क्षेत्र होते हैं जहां अनुसूचित जनजाति रहती है भारत में ऐसे 10 राज्य हैं जिनको अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है ( राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश )  तथा इनका नियंत्रण "जनजातीय कल्याण मंत्रालय" द्वारा किया जाता है।

[  ] छठवीं अनुसूची : 
इस अनुसूची में असम, मेघालय, मिजोरम एवं त्रिपुरा के प्रबंधन एवं नियंत्रण से संबंधित प्रावधानों का वर्णन किया गया है। तथा उनके क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र (Tribal Area ) कहा जाता है।

[  ]  सातवीं अनुसूची : 
इस अनुसूची में राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्र में शक्तियों व कार्यों का स्पष्ट बंटवारा की सचिया  दी गई हैं इसमें तीन अनुसूचियां आती हैं
  • संघ सूची ( 98 विषय )
  •  राज्य सूची (59 विषय )
  • समवर्ती सूची ( 52 विषय )

[  ] आठवीं अनुसूची : भाषा
इस अनुसूची में भाषाओं का वर्णन दिया गया है जिसमें 22 भाषाओं का उल्लेख है इन 22 भाषाओं को मान्यता मिली हुई है हमारे भारतीय संविधान के मूल ढांचे में 14 भाषाएं  थी बाद में आठ भाषाओं को और जोड़ा गया जिसमें 15वीं भाषा "सिंधी" इसको 21 व संविधान संशोधन 1967 में जोड़ा गया तथा 16वीं 17वीं 18वीं भाषा कोंकणी मणिपुरी नेपाली को 71 व संविधान संशोधन 1992 में जोड़ा गया तथा 19वीं 20वीं 21वीं और 22 सी संथाली मैथिली बोडो और डोंगरी इन भाषाओं को 92 व संविधान संशोधन 2003 में जोड़ा गया।

NOte : अब सभी आगे आने वाली अनुसूचियां को बाद में संशोधन करके जोड़ा गया था मूल संविधान में आठ अनुसूचियां थी वर्तमान में 12 अनुसूचियां है।

[  ] नौवीं अनुसूची : भूमि सुधार अधिनियम
• इस अनुसूची में केंद्रीय और राज्य कानूनों की एक सूची है जिसे न्यायालयों में चुनौती नहीं दी जा सकती है जिसे संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 1951 द्वारा जोड़ा गया था।

• पहले संशोधन में अनुसूची में 13 कानूनों को जोड़ा गया था। बाद के विभिन्न संशोधनों सहित वर्तमान में संरक्षित कानूनों की संख्या 284 हो गई है।

• यह नए अनुच्छेद 31B के तहत बनाया गया था, जिसे अनुच्छेद 31A के साथ सरकार द्वारा कृषि सुधार से संबंधित कानूनों की रक्षा करने और ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने हेतु लाया गया था।

• अनुच्छेद 31A कानून के 'उपबंधों' को सुरक्षा प्रदान करता है, जबकि अनुच्छेद 31B विशिष्ट कानूनों या अधिनियमों को सुरक्षा प्रदान करता है।

• जबकि अनुसूची के तहत संरक्षित अधिकांश कानून कृषि/भूमि के मुद्दों से संबंधित हैं, सूची में अन्य विषय भी शामिल हैं।

• अनुच्छेद 31B में एक पूर्वव्यापी संचालन भी है, जिसका अर्थ है कि यदि कानूनों को असंवैधानिक घोषित किये जाने के बाद नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है, तो उन्हें उनकी स्थापना के बाद से अनुसूची में माना जाता है, अतः उन्हें वैध माना जाता है।

• इस तथ्य के बावजूद कि अनुच्छेद 31B न्यायिक समीक्षा के बाहर है, सर्वोच्च न्यायालय ने पहले कहा है कि नौवीं अनुसूची में सूचीबद्ध कानून भी समीक्षा के अधीन होंगे यदि वे मौलिक अधिकारों या संविधान के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।

क्या नौवीं अनुसूची के कानून न्यायिक जाँच से पूरी तरह मुक्त हैं?

• केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): सर्वोच्च न्यायालय ने गोलकनाथ मामले में निर्णय को बरकरार रखा तथा "भारतीय संविधान की मूल संरचना" की एक नई अवधारणा पेश की और कहा कि, "संविधान के सभी प्रावधानों में संशोधन किया जा सकता है लेकिन यह उन संशोधनों को संविधान के बुनियादी ढाँचे से हटा देगा जिसमें मौलिक अधिकार शामिल हैं, न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के योग्य हैं"।

• वामन राव बनाम भारत संघ (1981): इस महत्त्वपूर्ण निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि "वे संशोधन जो 24 अप्रैल, 1973 (जिस पर केशवानंद भारती मामले में निर्णय दिया गया था) से पहले संविधान में किये गए थे, वैध और संवैधानिक हैं लेकिन जो निर्दिष्ट तिथि के बाद बनाए गए थे, उन्हें संवैधानिकता के आधार पर चुनौती दी जा सकती है।

• आई आर कोल्हो बनाम तमिलनाडु राज्य (2007): यह माना गया था कि 24 अप्रैल, 1973 के बाद लागू होने पर अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत हर कानून का परीक्षण किया जाना चाहिये।

• इसके अतिरिक्त न्यायालय ने अपने पिछले निर्णयों को बरकरार रखा और घोषित किया कि किसी भी अधिनियम को चुनौती दी जा सकती है तथा यदि यह संविधान की मूल संरचना के अनुरूप नहीं है तो न्यायपालिका द्वारा जाँच के लिये खुला है।

• इसके अलावा यह भी कहा गया कि यदि नौवीं अनुसूची के तहत किसी कानून की संवैधानिक वैधता को पहले बरकरार रखा गया है, तो भविष्य में इसे फिर से चुनौती नहीं दी जा सकती है।

[  ] दसवीं अनुसूची : दल बदल विरोधी कानून
भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची जिसे लोकप्रिय रूप से 'दल बदल विरोधी कानून' (Anti-Defection Law) कहा जाता है, वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है। यह ‘दल-बदल क्या है’ और दल-बदल करने वाले सदस्यों को अयोग्य ठहराने संबंधी प्रावधानों को परिभाषित करता है। इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ और पद के लालच में दल बदल करने वाले जन-प्रतिनिधियों को अयोग्य करार देना है, ताकि संसद की स्थिरता बनी रहे।

Ex : मान लीजिए  कोई राज्य हैं जिसमे 100 सीटों पर चुनाव होना हैं जिसमे से  BJP को 49 सीटें तथा कांग्रेस को 49 सीटें तथा बसपा को 2 सीटें मिली । तो ऐसे में सरकार किसी की नही बनेगी ।
तो इसमें ऐसा होता था की 49 सीटें वाली पार्टी दूसरी पार्टी को अपनी पार्टी में आने के लिए लालच दे  जिससे उसकी सीटों की संख्या 50 + 1 हो जाये और उनकी सरकार बन जाये ।  ऐसे ही दूसरी पार्टी किया करती थी । और इसी प्रकार यह चलता रहता था ।

इसी प्रवृत्ति को एनसीईआरटी में कहा जाता था आया राम गया राम इसी प्रवृत्ति से काफी दिक्कत हो रही थी हमारी सरकार पर इससे अस्थायित्व बना रहता था ( 1980- 1985)  के समय ।
इसी समस्या को दूर करने के लिए 42 व संविधान संशोधन 1985 में किया और एक नई अनुसूची जोड़ी दसवीं अनुसूची दल बदल विरोधी कानून इसके तहत यह कहा गया कि अगर किसी पार्टी के सदस्य को किसी दूसरी पार्टी में जाना है तो उसे पार्टी के कुल सदस्यों का एक बटे तीन सदस्य जाओगे तभी आप जा सकते हैं मान लीजिए कि किसी पार्टी में 100 सदस्य हैं इसमें एक बटे तीन से भाग देंगे तो 33 आएगा 33 से एक भी काम नहीं होना चाहिए यह सभी 33 सदस्यों की सदस्यता खत्म कर दी जाएगी |

Note : इससे भी कुछ नहीं हुआ तो सरकार ने एक और संशोधन किया 91 व संविधान संशोधन 2003 में इसके माध्यम से सरकार ने एक बटे तीन को हटाकर  कुल सदस्यों का दो बटे तीन कर दिया अब अगर पार्टी ए के सदस्यों को पार्टी भी में जाना है तो जाओ परंतु पार्टी ए के कुल सदस्यों का दो बटे तीन सदस्य ही जाएंगे तभी  इसको विलय माना जाएगा यदि एक भी काम जाएगा तो सभी की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी ।

[  ] 11वीं अनुसूची  : पंचायती राज

भारतीय संविधान की 11वीं अनुसूची में पंचायतों से जुड़े विषयों को शामिल किया गया है. इस अनुसूची को साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के ज़रिए जोड़ा गया था. इसमें 29 विषय शामिल हैं ।

Note  : 1992 के पहले भारत में दो ही संघ थे केंद्र सरकार  तथा राज्य सरकार तथा उनके सदस्यों तक आम जनता अपनी बात नहीं पहुंच पाती थी इसी समस्या को दूर करने के लिए 1992 में सरकार का एक  तीसरा स्तर जोड़ा गया जिसको कहा जाता है "स्थानीय सरकार" स्थानीय सरकार में दो विभाग आते हैं पंचायती राज तथा नगर निगम पंचायती राज्य गांव में होती है तथा नगर निगम शहरों में ।

इस अनुसूची में स्थानीय सरकार को जोड़ने से लोक कल्याण की अवधारणा में काफी सुधार हुआ  अब आम जनता अपनी बात को सरकार तक पहुचने में सफल हुई । राज्य सरकार के 57 विश्व में से 29 विषय पंचायती राज को दिए जाते हैं तथा 18 विषय नगर निगम को दिए जाते हैं ।


[  ] 12वीं अनुसूची : नगर निगम

भारतीय संविधान की 12वीं अनुसूची में नगर निगम से जुड़े विषयों को शामिल किया गया है. इस अनुसूची को साल 1992 में 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के ज़रिए जोड़ा गया था. इसमें 18 विषय शामिल हैं । 
  •  Samvidhan ki Anusuchiya
  • भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ
  • Bhartiye samvidhan
  • 12 Anusuchiyan
  • Schedules of the indian constitution
  • Indian constitution
  • 12 Anusuchiyan Kaun-kaun se hain
  • 12 Anusuchiyan ke Naam

मैं आशा करता हूं आपको यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी ऐसे ही और अच्छे नोट्स पाने के लिए आप हमको Facebook and Instagram , Youtube  पर फॉलो कर सकते हैं ।  RJ Study Point ✅ 

Daily GK, Daily GS Notes, Best important Notes , Competitive Exams Questions, important Notes, Indian Constitution. 

Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

Previous Post Next Post