-1-
"स्वयं"
मेने अपने अंदर झांका में बहुत बुरा इंसान
मेने लोगों से है जाना में बहुत बुरा इंसान
लोग मुझसे पूछे मामला इतना नर्म क्यों है
मेरे कहने और करने में इतना फ़र्क क्यों है
में बन गया बो इंसान जिससे डरता था मैं
अब व्यक्तित्व स्वीकारने में हर्ज़ क्या है
ना जाने कब खत्म होगी ये वहशत दुनिया की
औरत की तरक्की से जलता इतना मर्द क्यों है
मोमबत्ती है हाथों में आंखों में भी तो आग है
तुम भी कुछ रोशनी करो, अंधेरा हटाना सिर्फ हमारा फ़र्ज़ क्यों है
-2-
"ख्याल ठीक रहेगा"
खुद से बातें करता
कितना हसीन है ये मंज़र
ये लफ्ज़ आज तक नही सुने
दोबारा मिलाना चाहता है
रास्तो को मेजबानों से
मंज़िलो को मेहमानों से
कब तलक दिये में आग रहे
कब तलक बुझे में राख रहे
जल चुकी बो आग है
रह गयी जो खाक है
खाक से आग का राब्ता ना रहा
हम यूँही खड़े रहे हमारा रास्ता ना रहा
मंजिले राह ताके नजरे बिछाये
करती रहती है इंतेज़ार हमारा
हमीं निकम्मे है पूरे के पूरे
हमे कभी न हुआ ऐतवार हमारा
अब क्या फायदा कोसने का खुदको
अब तो बीत चुका जो वक़्त था हमारा
अजी ! आज की बात करो कल का क्या भरोसा
कहीं टूट ना जाये ये रिश्ता हमारा
कहने को तो सब साथी है
मगर सबके हाथ काट है
लेकिन ज़बान इतनी लंबी है इनकी
कि कानून भी शर्मा जाये
जरा सी भूल को ये पाप समझते है
और खुदको तो ये सबके बाप समझते है
और क्या बचा है कहने को
खुद ही नही बने बो शख्स जो आप समझते है
अब दरिया भी भर दूं तो क्या
उसको माफ भी कर दूं तो क्या
पहले जैसा अब माहौल नही करन
अपनी जान भी रख दूं तो क्या
ये ज़िन्दगी है सब कुछ सिखा देती है
ना जानो चलना तो बेशक गिरा देती है
मौका मिले जैसे ही लपक लेना झट से
ये दुनिया है मेरे दोस्त एक पल में सबको भुला देती है।
- Karan Ahirwar
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Hindi Poems
Nice bro... Whenever I read ur poem, it make my mind calm and I feel very energetic after reading ur poem
ReplyDeleteThank you so much Bro
Delete👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you 😊🙏🙏
DeleteBdiya.. Bhai.. Karan... 👍👍👍
ReplyDeleteTq so much bro
Delete👍👌👌
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