■ कुछ तो लोग कहेंगें | kuch toh log kahenge | इंटरनेट वाला लव
नमस्कार मेरे प्रिय मित्रों आज मैं आप सभी के लिए एक नई कहानी लेकर आया हूं , यह कहानी आप लोगों को बहुत पसंद आएगी क्योंकि यह कहानी है आज की नई पीढ़ी के ऊपर जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि आज की नई पीढ़ी जो है वह पूरी तरह से डिजिटल हो गई है यानी कि आपके हमारे शब्दों में कहें तो मशीन पर निर्भर हो गई है जैसे कि मोबाइल मोबाइल फोन जो है आज हमारी आपकी सबकी जिंदगी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है।
जिसके माध्यम से हम दूर बैठे कई लोगों से एक साथ बात कर सकते हैं मिल सकते हैं और रूबरू देख भी सकते हैं कुछ खरीदना हो या बेचना हो कुछ भी कर सकते है, आज के समय में मोबाइल फोन से बहुत कुछ किया जा सकता है और किया भी जा रहा है।
जैसे कि आजकल मोबाइल फोन पर प्यार भी होने लगा है पहले मोहब्बत का एक अपना ही अलग दस्तूर था और आज के समय में होने वाला प्यार जिस इंटरनेट वाला प्यार कहते हैं इंटरनेट वाला लव इसी पर आधारित आज मैं एक ऐसे ही कहानी लेकर आया हूं आप सभी लोगों के लिए, तो चलिए फिर शुरू करते हैं आज की कहानी 'इंटरनेट वाला लव" ।
इस कहानी के मुख्य किरदार हैं जिनका नाम है महेश शर्मा और सिया खान यह दोनों अलग-अलग धर्म और मजहब के थे। महेश एक हिंदू धर्म का था और सिया एक मुस्लिम धर्म की थी इन दोनों की मुलाकात फेसबुक से हुई, दोनों दोस्त बने दोस्ती आगे बढ़ी और मोहब्बत हुई प्यार हुआ दोनों का रिश्ता कुछ महीनों तक इसी तरह पर चलता रहा।
हमारे यहां यानी कि खासकर हमारे भारत देश में जाति धर्म मजहब के नाम पर अक्सर कई सवाल / विवाद हो रहे थे ऐसे ही कई सवाल उठे महेश और सिया के प्यार को लेकर, महेश उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर का रहने वाला लड़का था और सिया हैदराबाद की रहने वाली थी।
और फिर एक दिन दोनों ने भाग कर शादी कर ली महेश ने अपने घर फोन किया और अपने मां-बाप को इस बारे में बताया कि उसने एक दूसरे मजहब की लड़की से भाग कर शादी कर ली और अब वह अपने घर उसे लेकर आना चाहता है तो उसके मां-बाप बहुत नाराज हुए और उसे घर आने के लिए कहा जब वह सिया को लेकर अपने घर पहुंचा तो आसपास के लोगों पड़ोसियों सभी लोगों ने कई तरह की बातें बनाई कई तरह के सवाल उठाए उन लोगों को बहुत कुछ सुनना पड़ा महेश के घर वालों ने उसके माता-पिता ने उसका साथ दिया ओर महेश - सिया दोनों को अपने साथ अपने घर में रहने कि इजाजत भी दे दी।
कुछ दिनों बाद सिया के पापा को जब यह बात पता चली तो उन्होंने महेश के नाम पर पुलिस कंप्लेंन कर दी और अगले ही दिन महेश के घर पुलिस वाले पहुंचे पुलिस वालों को आता देख मोहल्ले वालों में हड़कंप मच गया कई तरह के सवाल कई तरह की बातें और भी ना जाने किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा महेश - सिया और उनके परिवार वालों को।
मोहल्ले वालों ने पड़ोसियों ने रिश्तेदारों ने समाज वालों ने महेश और सिया के परिवार वालों को बहुत शर्मिंदा होना पड़ा बहुत बेइज्जती हुई लोगों ने कई तरह की बातें बनाई। लेकिन महेश के पिता जी ने कहा कि मुझे फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहेंगे वाले क्या करेंगे समाज बाले क्या कहेंगे ,पड़ोसी क्या कहेंगे।
• अगर में इन लोगो की बात सुनता रहा तो मैं कभी कुछ नहीं कर पाऊंगा लोग तो होते ही हैं कुछ ना कुछ कहने के लिए, लोग कहते रहेंगे बातें बनेगी इसका यह मतलब तो नहीं कि हम अपनी जिंदगी जीना ही छोड़ दें।
महेश के पिता जी ने महेश और सिया दोनों से कहा कि बेटा यह दुनिया वाले कुछ भी कहे तुम वही करो जो तुम लोगों को अच्छा लगता है हम सब तुम्हारे साथ हैं,और दूसरी तरफ सिया के मां-बाप भी उन दोनों के रिश्ते के लिए मान गए। और अब महेश और सिया दोनों अपनी खुशहाल ज़िन्दगी में बहुत खुश हैं तो यह थी कहानी महेश और सिया की इंटरनेट वाला लव।क्योंकि लोग कुछ ना कुछ कहते रहेंगे......!!
''कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना"
• यह चंद पंक्तियां हमारे हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए हिंदू मुसलमान इंसानों की दो जातियां हैं दोनों का खून एक है दोनों को रचने वाला अल्लाह और भगवान एक है। अगर हम गंगा जमुना की तरह बहे और एक दूसरे की प्यास का प्याला बने तो यह दो दिखने वाली यह जातियां कभी दो नहीं देखेंगे। हम चाँद को देख रोजे को पूरा मान लेते हैं लेकिन जब तक हिंदू के गले ना लगे ईंद अधूरी लगती हैं...!!!
Thank You
लेखक - प्रशंग झा