1-
|| छोटे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ ||
कहीं ना लागे मन क्यूं हैं ये सूनापन क्यूं है, क्यूं है।
जिसकी तलाश में, मैं दरबदर भटका हूं ,
तू है वही, तू है वही...
कहीं ना लागे मन क्यूं है, ये सूनापन....!!
मेरे घर की दहलीज पर जिसके पैरों के निशान पढ़ते ही,
मेरे घर की खुशियों का मानो जैसे कोई ठिकाना ना रहा हो।
उन खुशियों की वजह सिर्फ तू है सिर्फ तू है...
कहीं ना लागे मन क्यूं है, ये सूनापन....!!
सच्ची है वो सब तारीफें ,जो मैंने तुझसे ज्यादा ख़ुद तेरी करी है। इन तारीफों की तू बेशक हकदार है, क्योंकि तेरा मुझ पे एतबार है...
कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!
तेरी ही बाहों में अब रह लूंगा मैं, चाहे जो हो अब सब सह लूंगा मैं। तू एक बार आ तो सही हंसते-हंसते तेरे हाथों जहर खा भी लूंगा मैं...
कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!
कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन क्यूं है, क्यूं है। जिसकी तलाश में मैं दरबदर भटका हूं।
तू है वही, तू है वही...
कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!
- प्रशंग झा
-3-
|| तेरी ये चुप्पी ||
आपको दुनियां कितनी भी बेकार क्यों ना लगे, लेकिन निराशा में हमें दुनियां से अलग नहीं रहना चाहिए, बल्कि दुनियां के साथ रहना चाहिए।
निराशा यानि कि समस्या से बचने का सबसे अच्छा समाधान है, कि हम अपना ज्यादा से ज्यादा समय दूसरो के साथ बिताए और ख़ुद को ज्यादा व्यस्त रखे।
निराशा या (समस्या) ना सिर्फ़ चिंता करने से दूर होगी, बल्कि समस्या को एक सही ढंग से ठीक कोशिश करने से होगी।
अगर कोई इंसान निराशा में है, तो उसका साथ दीजिए ना की उसका मजाक बनाइए।
देखिए आप उदास होइए, निराश होइए मगर प्रयास जारी रखिए, प्रयास करना बन्द मत कीजिए।।
- प्रशंग झा
..........................................................................!!!!!
यदि आपके पास Hindi / English में कोई article, inspirational story , कविता या अन्य जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: rjha5583@gmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!