हिंदी कविता संग्रह - 2021 | Collection of Hindi poetry | 2021

हेल्लो दोस्तो हम आपके लिए लेके आएं हैं  प्रसिद्ध हिंदी कविताओं का संग्रह "हिंदी कविता संग्रह"। में आशा करता हूँ आप सभी को यह कविताएं बहुत पकसन्द आएंगी। आप इन कविताओं का आंनद लीजिये ओर हम को कमेन्ट कर के जरूर बताइयेगा के आप सभी की कविताएं कैसी लगी ।
प्रसिद्ध 10 हिंदी कविता का संग्रह।


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1-

 || छोटे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारियों का बोझ ||

खेलने कूदने की उम्र में लड़के जिम्मेदारियों का बोझ लिए घूम रहे हैं। और लोग कहते हैं कि लड़के आवारा घूम रहे हैं....!!!
देखा है मैंने लड़को को अक्सर मिलो दूर पैदल चलते हुए, कुछ पैसे बचाने के लिए खुद को समझा-बुझाकर मना लिया करता हैं। 
खेलने कूदने की उम्र में लड़के जिम्मेदारियों का बोझ लिए घूम रहे हैं और लोग कहते हैं कि लड़के आवारा घूम रहे हैं......!!!
देखा है मैंने लड़कों को अक्सर अपनी इच्छाएं दबाते हुए , अपने सपनों को भुलाकर जिम्मेदारियां निभाते हुए। 
खेलने कूदने की उम्र में लड़के जिम्मेदारियों का बोझ लिए घूम रहे हैं और लोग कहते हैं कि लड़के आवारा घूम रहे हैं.......!!!
देखा है मैंने लड़कों को अक्सर झूठा मुस्कुराते हुए, अपने दुख को छुपा कर औरों के लिए मुस्कुराते हुए। 
खेलने कूदने की उम्र में लड़के जिम्मेदारियों का बोझ लिए  घूम रहे हैं और लोग कहते हैं कि लड़के आवारा घूम रहे हैं......!!!
- प्रशंग झा

-2-
|| कहीं ना लागे मन ||

कहीं ना लागे मन क्यूं हैं ये सूनापन क्यूं है, क्यूं है। 

जिसकी तलाश में, मैं दरबदर भटका हूं ,

तू है वही, तू है वही...

कहीं ना लागे मन क्यूं है, ये सूनापन....!!

मेरे घर की दहलीज पर जिसके पैरों के निशान पढ़ते ही, 

मेरे घर की खुशियों का मानो जैसे कोई ठिकाना ना रहा हो। 

उन खुशियों की वजह सिर्फ तू है सिर्फ तू है...

कहीं ना लागे मन क्यूं है, ये सूनापन....!!

सच्ची है वो सब तारीफें ,जो मैंने तुझसे ज्यादा ख़ुद तेरी करी है। इन तारीफों की तू बेशक हकदार है, क्योंकि तेरा मुझ पे एतबार है...

कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!

तेरी ही बाहों में अब रह लूंगा मैं, चाहे जो हो अब सब सह लूंगा मैं। तू एक बार आ तो सही हंसते-हंसते तेरे हाथों जहर खा भी लूंगा मैं...

कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!

कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन क्यूं है, क्यूं है। जिसकी तलाश में मैं दरबदर भटका हूं। 

तू है वही, तू है वही...

कहीं ना लागे मन क्यूं है ये सूनापन....!!

- प्रशंग झा 

-3-

|| तेरी ये चुप्पी ||

आप चाहे कितने ही गंभीर निराशा क्यों ना हो, लेकिन आपको तब भी काम करते रहना चाहिए।

आपको दुनियां कितनी भी बेकार क्यों ना लगे, लेकिन निराशा में हमें दुनियां से अलग नहीं रहना चाहिए, बल्कि दुनियां के साथ रहना चाहिए।

निराशा यानि कि समस्या से बचने का सबसे अच्छा समाधान है, कि हम अपना ज्यादा से ज्यादा समय दूसरो के साथ बिताए और ख़ुद को ज्यादा व्यस्त रखे।

निराशा या (समस्या) ना सिर्फ़ चिंता करने से दूर होगी, बल्कि समस्या को एक सही ढंग से ठीक कोशिश करने से होगी।

अगर कोई इंसान निराशा में है, तो उसका साथ दीजिए ना की उसका मजाक बनाइए।

देखिए आप उदास होइए, निराश होइए मगर प्रयास जारी रखिए, प्रयास करना बन्द मत कीजिए।।

- प्रशंग झा

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