■ 14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस
हिंदी दिवस को हम प्रत्येक 14 सितंबर को मनाते है क्योंकि आज के ही दिन 1949 को हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था। बाद में हिंदी के बारे में लोगो को जागरूक और हिन्दी के विकास की भावना को बढ़ाने के लिए 14 सितंबर 1953 को इसे आधिकारिक रूप से हिंदी दिवस का नाम दिया गया और तब से ही हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है।
■ हिंदी भाषा का महत्व
यूँ तो हिंदी दिवस को मनाने के पीछे कई कारण है लेकिन जो सबसे बढ़ा कारण जो आज नज़र आता है वो है लोगो मे हिंदी की कम होती लोकप्रियता को बढ़ावा देना तथा उनको हिंदी के महत्व से रूबरू कराना। आज कल सारे काम अंग्रेजी भाषा मे ही होते है चाहे वो बच्चो की प्रारंभिक शिक्षा हो या निजी कार्यालय के कोई काम। आज हर कोई अंग्रेज़ी भाषा से इतना प्रभावित है ओर अगर ऐसा ही चलता रहा तो ऐसा ना हो कि आने वाले समय मे हिंदी विलुप्त ही ना हो जाये।
इसी महत्व को बढ़ाने के लिए अलग अलग प्रतियोगिताए
आयोजित की जाती है और जो वर्ष भर हिंदी को बढ़ावा देते है उनको सम्मानित भी किया जाता है। इस अवसर पर हम अपने साहित्य हो कैसे भूल सकते है। कितने बड़े बड़े साहित्यकार हुए है हिंदी के। मुंशी प्रेमचंद्र, रामधारी सिंह दिनकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, धर्मवीर भारती, सूर्यकुमार त्रिपाठी 'निराला', अज्ञेय, तुलसीदास, सूरदास, कबीरदास, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रानंदन पंत और ना जाने कितने ऐसे महानुभाव जिनके बारे में बहुत से लोगो को पता ही नही है। आज कल हर पश्चिमी साहित्य से इतना प्रभावित है कि अपने हिंदी साहित्य को पढ़ना हमे नीचा महसूस कराता है।
दूसरे देश का साहित्य पढ़ने में या उनकी भाषा अपनाने में कोई दोष नही है लेकिन उसके प्रभाव में अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपने साहित्य को भूल जाना ये बहुत गलत बात है इसलिए आज हिंदी दिवस के अवसर पर बस इतना ही संदेश है कि अपनी मातृभाषा का सम्मान करें और हिंदी में बात करने में शरमाये नही।
हम हिंदुस्तान के निवासी है जिसके नाम मे ही हिंदी है तो गर्व से कहो हम हिंदी है।
जय हिंद
- karan Ahirwar
■ हिंदी दिवस के अवसर पर चार पंक्तियां आप सभी के लिए ।
जन हित में जारी,
हैं हिंदी हमारी.....
कल्याण करी,
हैं हिंदी हमारी.....।
संस्कारो से भरी हैं देवताओ से सजी हैं
संवृद्धि, प्रतिष्ठा और समाज कल्याण का करती हैं बोध
जन हित में जारी,
हैं हिंदी हमारी.....
कल्याण करी,
हैं हिंदी हमारी......।