अधूरे सपने | लोकप्रिय हिंदी कविता | Unfulfilled dreams | Hindi poetry | 2021

Hindi kavita hindi poetry

"अधूरे सपने"
देखा है मैंने अक्सर खिलौनों की दुकान पर खुद एक खिलौने (बच्चे) को खिलौना बेचते हुए। 
ये मजबूरी नहीं तो और क्या है ये मजबूरी नहीं तो और क्या है, 
कि एक छोटा सा खिलौना (बच्चा) खिलौना बेच रहा है, 
खेलने की उम्र में...!!
ये मजबूरी ही तो है, जिसने उस बच्चे को मजबूर किया खिलौने बेचने को और जिसकी वजह है खाना ना था घर में जरा भी खाने को...!!
जो खुद वक्त पर खाना नहीं खा पाते और वो हमारे लिए 30 मिनिट्स में खाना हमारे घर तक पहुंचते है, 
वो डिलीवरी बॉय ही तो होते है। 
जो अक्सर खुद को भूखा रख कर हमारे लिए खाना वक्त पर पहुंचाते है।
ये मजबूरी नहीं तो और क्या हैं ये मजबूरी नहीं तो और क्या है,

 जो दूसरों का पेट बहरे उसके लिए खुद भूखा ही रह जाता है...!!

घर का वह बेटा जो कभी शरारती हुआ करता था जिसने आज तक बाहर का एक भी काम ना किया हो 
जो सिर्फ अपने शौक पूरे करने में लगा रहता था वो आज बाहर रह कर दिन रात मेहनत कर रहा। 
जब वक्त बदला तो उस वक्त ने उस शरारती बच्चे को एक जिम्मेदार लड़का बना दिया। 
बाप के गुजर जाने के बाद आज वही बच्चा पूरे परिवार को पाल पोश रहा हैं।
ये जिम्मेदारी नहीं तो और क्या है, जिसने एक नालायक बेटे को काबिल और जिम्मेदार बना दिया...!!
ये मजबूरी नहीं तो और क्या है ये मजबूरी नहीं तो और क्या है,

उनके शौक अक्सर अधूरे रह जाते है, जो कम उम्र में ही जिम्मेदार बन जाते हैं...!!
- प्रशंग झा

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