"यादों का वो घर"
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं ।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
अपने सपनो को तोड़ कर
आपके सपनो का महल बनाते हैं
छोटा ही सही पर कितना सुंदर बनाते हैं।
वो घर नही मंदिर हो जाता हैं
इस धरती पर स्वर्ग का अबतार हो जाता हैं।
याद आती हैं उन बिस्तरों की,
जो माँ लगती थी हमको सुलाने के लिए ,
झट से लेट जाते थे लोरी सुनके सो जाते थे।
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं ।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
पापा जब काम से, शाम को घर आते थे।
दौड कर हम उनके स्कूटर पर बैठ जाते थे
ओर पूरी गली का एक चक्कर हम रोज लगते थे।।
कितने प्यारे वो नज़ारे हुआ करते थे।
पूरे घर के हम ही राज दुलारे हुआ करते थे ।।
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
जब भी कोई त्योहार आता था
पूरा घर खुशियों से भर जाता था।
कितना कुछ सीखने मिलता हैं जब पूरा परिवार साथ होता हैं
सारे त्योहार हम पूरे परिवार के साथ मनाते थे
खुशियों भरा घर हम अपने हाथों से चमकाते थे
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं ।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
वो आँगन भी क्या आँगन था ,
जिसमे खेल कर हम बड़े हुए
खूब पिटे , खूब प्यार मिला
इतने अच्छे उनसे संस्कार मिले।
वो घर नही हैं इस धरती पर ,
जिसमे माँ-बाप का साया न हो ।
ना बिराजें भगवान भी उस घर में
जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान ना हों ।।
जिंदगी निछावर कर देते हैं अपनी, आशियाना बनाने में ।
कुछ मूर्ख उसको नस्ट कर देते हैं , खुद को मोडल बनाने में।
वो घर नही मंदिर होता हैं
इस धरती पर साक्षात स्वर्ग का अवतार होता हैं ।
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं ।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
अब कहाँ वो सुकुन हैं , जो फिर लौटकर आएगा
यादो का वो घर अब जाने किस मोड़ पर टकराएगा
खुशियां , गम , सभी दुख हम सब साथ में निभाएंगे
हम वादा करते हैं उस परम पिता से,
माँ-बाप के उस घर (मन्दिर) को कभी नही मिटाएंगे।
सच में, यादों का वो घर कितना प्यारा होता हैं ।
जिसमे माँ बाप की मेहनत का पसीना होता हैं..........।।
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Hindi Poetry