बातें कुछ अनकही सी कुछ अनसुनी सी होने लगी,
काबू दिल पे रहा ना हस्ती मेरी खोने लगी.........
शायद यही है मोहब्बत, शायद यही है मोहब्बत
तू कह दे मुझसे तेरे दिल में जो भी है, ऐसा भी क्या शर्माना तुझको भी तो हो रहा है,
असर मेरे प्यार का जरूर है ये खामोशी हमें जीने ना दे कोई बात तो है........
शायद यही है मोहब्बत, शायद यही है मोहब्बत
बातें कुछ अनकही सी कुछ अनसुनी सी होने लगी,
काबू दिल पे रहा ना हस्ती मेरी खोने लगी....
शायद यही है मोहब्बत, शायद यही है मोहब्बत
तू मेरी अंधेरी रात की रोशनी है, और तू ही मेरा चिराग है
यूं ही धीरे-धीरे मिट जाएगा ये तो हल्का सा एक दाग है....
शायद यही है मोहब्बत, शायद यही है मोहब्बत
बातें कुछ अनकही सी कुछ अनसुनी सी होने लगी,
काबू दिल पे रहा ना हस्ती मेरी खोने लगी....
शायद यही है मोहब्बत, शायद यही है मोहब्बत।।
- प्रशंग झा
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